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लेखनी प्रतियोगिता -10-Sep-2022 आधा इंसान

भरा नहीं  जो भावों से 

ना दिल में जिसके प्यार है 
छल प्रपंच नित बेच रहा 
जो धूर्त और मक्कार है 

"मतलब" जिसका धर्म है 
"बेइमानी" है जिसकी जाति 
"लंपटता" के कुल में जन्मा 
"आधा इंसान" है उसकी प्रजाति । 

कब नीयत बदल जाये 
कब किस पे फिसल जाये 
कब जानवर बन जाये 
कब इंसानियत मर जाये 

रिश्ते नाते जिसे ना भाते 
खोटे काम ही करने आते 
इंसानियत को जो हैं लजाते 
वे ही "आधा इंसान" कहाते 

जमीर जिसका मर चुका 
जाने कितने पाप कर चुका 
दिल में पत्थर भर चुका 
संवेदनहीन, मशीन बन चुका 

देश से जो करे गद्दारी 
हैवानों से जिसकी यारी 
खूनी होली जिसको प्यारी 
आधे इंसानों की सेना सारी 

श्री हरि 
10.9.22 

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8 Comments

उम्दा सृजन,,, लाजवाब लाजवाब

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Ajay Tiwari

11-Sep-2022 09:31 AM

Very nice

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Palak chopra

10-Sep-2022 08:12 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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